शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलावों के लिए केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. करीब तीन दशक के बाद देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है. इससे पूर्व देश में मुख्य रूप से सिर्फ दो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थीं. स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1968 में इंदिरा गांधी सरकार ने पहली शिक्षा नीति की घोषणा की गई. वहीं देश की दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति मई 1986 में राजीव गांधी सरकार में मंजूर की गई. तथा इस नीति को 1992 में पीवी नरसिंह राव सरकार ने संशोधित किया. एक लंबा वक्त बीत चुका है. उम्मीद की जा रही है कि यह देश के शिक्षा क्षेत्र में नए और बेहतर परिवर्तनों की शुरुआत करेगी.
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
- अब दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय देश में अपने कैम्पस खोल सकेंगे. इससे प्रतिभा पलायन को रोकने में मदद मिलने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी खासी बढ़त मिलेगी.
- स्कूलों में 10+2 फोर्माते खत्म, अब शुरू होगा 5+3+3+4 फॉर्मेंट
यानि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा.
अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का होगा. इसमें भविष्य के लिए तैयार किया जायेगा. जिसमे विज्ञान, कला, गणित, सामजिक विज्ञान जैसे विषय पढाये जायेंगे.
इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज कक्षा 6 से 8 तक का होगा. अब छठी से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी.
इसके बाद 4 साल का लास्ट स्टेज कक्षा 9 से 12 तक का होगा. इसमें छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी. इसमें स्ट्रीम सिस्टम ख़तम होगा यानि किसी भी साईट ( आर्ट, साइंस या कॉमर्स ) का क्षात्र किसी भी साईट का विषय पढना चाहे तो पढ़ पायेगा. - अब बोर्ड परीक्षाएं सेमेस्टर में होंगी. कक्षा 9 से 12 तक एक साल में 2 सेमेस्टर होंगे. तथा बोर्ड एग्जाम को अपनी पसंदीदा भाषा में लिखने की छूट होगी.
- अब कक्षा 5 तक मातृभाषा में पढाई होगी.
- अब अंग्रेजी में पढाई की अनिवार्यता समाप्त होगी.
- अब कक्षा 6 से रोजगारपरक शिक्षा दी जाएगी यानि स्किल पर ध्यान दिया जायेगा तथा स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी. एवं कक्षा 6 से ही कंप्यूटर कोडिंग भी सिखाई जाएगी.
- अब रिपोर्ट कार्ड का आकलन तीन स्तर पर किया जाएग। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक।
- ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम
आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है.
3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा. एमफिल को खत्म किया जाएगा और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प होगा. नेशनल मेंटरिंग प्लान के जरिये शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा. - अब छात्रों को एमफिल नहीं करना होगा. एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करेंगे.
- खत्म होंगे UGC, NCTE और AICTE, बनेगी एक रेगुलेटरी बॉडी
- अब उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा. यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी.
- अभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग नियम हैं. भविष्य में सभी नियम एक समान बनाए जाएंगे. फीस पर नियंत्रण का भी एक तंत्र तैयार किया जाएगा.
- स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षा भी नई शिक्षा नीति के दायरे में होगा.
- कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इन्हें सहायक पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा.
- एससी, एसटी, ओबीसी और एसईडीजीएस स्टूडेंट्स के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल को बढ़ाया जाएगा.
मेरे हिसाब से बदलते समय के साथ शिक्षा पद्धति में परिवर्तन समय की मांग है. शिक्षा से न सिर्फ व्यक्तित्व बल्कि समाज का भी निर्माण होता है. इसलिए देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव के लिए नई शिक्षा नीति को स्वीकृति देने का भारत सरकार के निर्णय का स्वागत है. देश की शिक्षा व्यवस्था देश के एनवायरनमेंट के हिसाब से होनी चाहिए, देश की भाषा, सभ्यता, संस्कृति, सामाजिक मूल्यो को प्रॉपर स्थान मिलना चाहिए. प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा तक परिवर्तन के साथ कक्षा 6 से व्यवसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन आज की आवश्यकता है. नई शिक्षा नीति देश की दिशा और दशा बदलने वाली नीति है. nyi shiksha niti
मेरी शुभकामनाएं ?
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